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लेखनी कहानी -08-Jul-2022 यक्ष प्रश्न 1

कामवाली बाई 

आज बॉस के साथ मेरी कहा सुनी हो गयी थी । इस कहा सुनी में कहते तो बॉस ही हैं मैं तो बस सुनता हूँ । बस, बीच बीच में मुस्कुरा भर देता हूँ । इस मुस्कान से बॉस इतना चिढ़ जाते हैं कि वे दांत पीसने लग जाते हैं । बस, इसी सीन को देखने के लिए मैं कुछ न कुछ ऐसा करता रहता हूँ कि बॉस से" कहा सुनी " का अवसर मिल जाये और फिर से हमें मुस्कुराने का मौका मिल जाये । सचमुच में आनंद आ जाता है जब बॉस को दांत पीसते हुए देखता हूं । लगता है जैसे जन्नत में घूम रहा हूं ।

पर भगवान को हमारी छोटी छोटी खुशियां कहां बर्दाश्त होती हैं । कुछ न कुछ अडंगा लगा ही देते हैं वे मेरी इन छोटी छोटी खुशियों में । एक दिन ऐसा हुआ कि जैसे ही मैं बॉस की डांट खाकर घर पहुंचा , श्रीमती जी घर के बाहर ही मिल गईं । कद्दू की तरह मुंह सूजा हुआ था उनका और दिमाग लाल तवे की तरह गर्म हो रहा था । उस सूरत को देखकर मैं तो घबरा ही गया था । सोचा कि अपनी ही धुन में मैं अपने घर नहीं बल्कि किसी दुर्गा मैया के मंदिर में आ गया हूँ । दुर्गा मैया के साक्षात दर्शन कर मैं निहाल हो गया था । श्रद्धा और भक्तिभाव से मैंने दुर्गा मैया को दण्डवत प्रणाम किया और वापस लौटने लगा । पीछे से कॉलर पकड़ते हुए श्रीमती जी बोली
"भाग कहाँ रहे हो ? ये कोई दुर्गा मैया का मंदिर नहीं है कि दर्शन करो और चले जाओ । यह आपका ही घर है और मैं आपकी बीवी हूँ । मुझसे पीछा छुड़ाना इतना आसान काम नहीं है । सात जन्मों तक पीछा छोड़ने वाली नहीं हूँ मैं, हां" । 
मुझे लगा कि मैं सपना देख रहा हूं । मैंने अपना हाथ अपने दांतों से काटा । अब मुझे यकीन हो गया कि ये सब हकीकत है, सपना नहीं है । मैं भी गिरगिट की तरह रंग बदलते हुये,  नेताओं की तरह खींसें निपोरते हुए और कलाकार की तरह अदाकारी दिखाते हुए बोला
"मैं तो देवी के प्रसाद की व्यवस्था करने जा रहा था , मैडम जी । आज नवरात्रि का अंतिम दिन है न । इसलिए देवी का भोग लगाना जरूरी है" । मैंने बात साधने की कोशिश की । 

वो कहने लगी " देवी को छोड़ो और कामवाली देवी की व्यवस्था करो । दुर्गा मैया के बिना तो काम चल जायेगा मगर "कामवाली देवी" के बिना तो एक मिनट भी गुजरना असंभव है । अभी अभी कामवाली बाई का फोन आया है कि वह कल से नहीं आयेगी । उसके बिना अब क्या होगा मेरा ? मैं कैसे करूंगी घर का काम ? सालों पहले ही छोड़ दिया था मैंने घर का काम करना । अब तो मैं भूल ही गई हूं । और अगर घर का काम करूंगी तो फिर सोशल मीडिया पर कैसे रहूंगी ? अब तक सारे नये समाचार सभी ग्रुपों में मैं ही देती आयी हूँ । अब नहीं दूंगी तो मेरी सोसायटी में नाक कट जायेगी । नहीं, नही । मैं कुछ नहीं जानती । मुझे तो बस एक कामवाली बाई चाहिए और कुछ नहीं । फिर चाहे तुम दुर्गा मैया की पूजा करो या किसी और की , मेरी बला से" । और वह फफक कर रो पड़ी । 

मुझे याद आया कि मैंने तो आज तक कभी भी श्रीमती जी को ऐसे दहाड़ें मारकर रोते हुए नहीं देखा था । यहां तक कि मेरी आदरणीया सासू मां भी जब देवलोक गमन पर चलीं गई थीं तब भी इस तरह जार जार तो नहीं रोई थीं श्रीमती जी । हां, मेरी शादी पर थोड़ा सा रोई थीं पर तब सासू मां ने उनके कान में कोई मंत्र फूंका था । उस मंत्र का प्रभाव था कि वे फिर कभी भी नहीं रोई और मुझे हर बार रोने पर विवश किया उन्होंने । 

जब मेरी सासू मां देवलोक की यात्रा पर जाने की तैयारी कर रहीं थीं और जब उनका आखिरी समय आ गया था तब मैंने एकान्त में उनको अपना लिखा "सासू चालीसा" पढ़कर सुनाया । उससे वे बहुत प्रसन्न हुयीं और मुझे कहा कि धन दौलत और साली को छोड़कर कोई भी वचन मांग लो । तब मैंने मन ही मन सोचा कि इनके अलावा है ही क्या आपके पास ? लेकिन कह नहीं सका । अंतिम यात्रा पर जाने वाले आदमी को ऐसी बातें नहीं कहनी चाहिए । इसलिए मै  खामोश ही रहा । तब मेरे पास एक ही विकल्प रह गया था मांगने का । और मैंने सही अवसर पर फुल टॉस बॉल को छक्के में तब्दील कर दिया । कहने लगा 

देना हो तो दीजिए सासू मां वरदान 
मेरी शादी पर जो कहे कान में बेटी को वचन
उन्हें अब तो बता दो हे सासू मां महान । 

सासू मां मुस्कुरा कर बोली "बड़े चालाक हो । सबसे कीमती चीज मांग ली है तुमने । पर मैंने भी वचन दिया है इसलिए वचन पालन करते हुए बता रही हूं । उस दिन जब गुड़िया रो रही थी शादी पर बिदाई के समय । तब उसे गुरू मंत्र दिया था कि आज आखिरी बार रोना है तुझे । ऐसा काम करना कि तेरा "आदमी" रोज रोये और हर बार यह सोचने को मजबूर हो जाये कि हाय, ये मैंने क्या किया । शादी करके बंधुआ मजदूर बन गया । बस, तब से ही गुड़िया आज तक नहीं रोई है" । 

मैं मन ही मन उन्हें कोसता ही रह गया कि सच में , वह तो कभी नहीं रोई मगर मुझे रोज खून के आंसू रुला देती है । मैं कुछ और कह पाता कि सासू मां के प्राण पखेरू आजाद पंछी की तरह पंख फड़फड़ाकर उड़ गये । श्रीमती जी आज तक मुझे ताना मारती हैं कि पता नहीं मैंने सासू मां को क्या कह दिया या कर दिया था । 

आज श्रीमती जी को इस कदर रोते देखकर मुझे मन ही मन बड़ा सुकून मिला । जब कोई प्रताड़ित व्यक्ति प्रताड़ित करने वाले व्यक्ति को प्रताड़ित अवस्था में देखता है तो उसे एक अजीब सी शान्ति मिलती है । कुछ कुछ वैसी ही शान्ति मुझे मिल रही थी । 

बड़े बुजुर्गों ने सही कहा है कि खुशियां तो चंद पलों की ही मेहमान होती हैं । न जाने कब छू मंतर हो जाती हैं , पता ही नहीं चलता है । और गम अपना स्थाई साथी है । वह पक्का दोस्त है । कभी भी साथ नहीं छोड़ता है ।

श्रीमती जी ने मेरी खुशियों का गला घोंटते हुये कहा कि शाम तक कामवाली बाई की व्यवस्था नहीं हुई तो खाना बर्तन सब मुझे करने पड़ेंगे । तब मेरी तंद्रा भंग हुई । हम श्रीमती जी से सवाल जवाब करने लगे 
"आपने उसे डांटा होगा" 
"नहीं, यह काम तो वह ही करती है । मैं तो बस आपको ही डांट सकती हूँ । कामवाली बाई को डांटकर खतरा मोल नहीं ले सकती हूँ मैं" 
"फिर उसे पगार नहीं दी होगी" ? 
"वो तो एडवांस में ही ले लेती है" 
"उसे अपने लिये चाय नहीं बनाने देती होंगी तुम" 
"नहीं, मैं खुद अपने हाथों से चाय बनाकर देती हूँ उसे" 
"कुछ नाश्ता वगैरह" ?
"चाहे आपको नाश्ता बने या नहीं मगर कामवाली का जरूर बनता है"
"अपनी सोसायटी की खबरें जानने के लिए उसे कुछ एक्सट्रा नहीं दिया होगा " ?  
"हां , शायद ये कारण हो सकता है । तभी उसने सामने वाले फ्लैट की लड़की के बारे में कुछ भी नहीं बताया कि वह अपने बॉयफ्रेंड के साथ भाग गई थी । वो तो भला हो वर्मा आंटी का जो उन्होने ढिंढोरा पीट पीट कर सबको बता दिया वरना हम तो इतनी महत्वपूर्ण सूचना से वंचित ही रह जाते" ?

अब सोचने की बारी मेरी थी । क्योंकि बाई के जाने से सबसे अधिक मुझे ही कष्ट होने वाला था । मैंने कहा " ऐसा करो कि अपने सोसायटी वाले ग्रुप में डाल दो कि कोई कामवाली बाई हो तो हमें बता दे" 
"वो तो कब का डाल दिया है मैंने । सब लेडीज ने मुझे सुहानुभूति के मैसेज भी भेजे हैं । इतने मैसेज तो आपकी मां के मरने पर भी नहीं आये जितने अब आ रहे हैं" । 

"लोग भी दुख की मात्रा के अनुसार मैसेज भेजते हैं । शायद आजकल कामवाली बाई का घर छोड़ना सबसे अधिक हृदय विदारक घटना हो गई है । ऐसी विकट घड़ी में लोग सांत्वना देकर अपनी संवेदनाएं जताने का अवसर निकाल ही लेते हैं । कितने महान लोग हैं इस देश के और कितनी महान संस्कृति है हमारी" । मैंने अपनी ओर से कुछ जोड़ने की कोशिश की । 
अचानक मुझे छमिया भाभी का खयाल आया । हो सकता है कि उनके पास कोई समाधान हो इस समस्या का । वे हर समस्या का समाधान रखती हैं अपने पास । ऐसा लगता है कि कोई जादू की छड़ी है उनके पास । पलक झपकते ही समाधान हाजिर । वैसे भी हमारी जान तो उन्हीं में अटकी रहती है । हमें तो कोई न कोई बहाना चाहिए उनसे बात करने का । मगर श्रीमती जी तो छमिया भाभी के नाम से ही चिढती हैं इसलिए रिस्क लेना ठीक नहीं लगा हमें ।

फिर हमें रसिकलाल जी का ध्यान आया । यथा नाम तथा गुण । अपने घर पर कई सारी कामवाली बाइयां लगा रखी थी उन्होंने । झाड़ू पोंछा के लिए अलग । कपड़ों के लिए अलग । खाना बनाने के लिए अलग । मसाज के लिए अलग । और भी कई सारी बाइयां हैं उनके घर में । ठाठ हैं रसिकलाल जी के । लिखवा कर लाये हैं  । मुंह में सोने का चम्मच लेकर जो पैदा हुये हैं । हमने फोन घुमाया और अपनी समस्या बताई तो उन्होंने चुटकी बजाते ही समाधान कर दिया । एक कामवाली बाई को तुरंत भेज दिया उन्होंने । 

मैंने देखा कि एक छम्मकछल्लो सी सुंदरी मटकती हुई हमारे घर आयी और बड़ी कातिल अदा के साथ बोली " मुझे रसिकलाल जी ने भेजा है । बताइये मुझे क्या करना होगा" ? 

उसे देखकर हमारे मन में लड्डू फूटने लगे । इतने में श्रीमती जी ने कॉलर पकड़कर अंदर खेंचते हुये कहा "इतने खुश मत होइये । इस चुडैल को रखने वाली नहीं हूं मैं । काम वाली नहीं 'कामरस वाली' ज्यादा लग रही है ये । दो चार दिन में ही सब कुछ साफ कर जायेगी ये तो । कोई और देखिये " । हम मन मसोस कर रह गये । 

एक ऐजेंसी से बात की तो उसने बताया कि कामवाली बाइयों की आजकल बड़ी डिमांड है । बहुत मंहगी हो गई हैं ये । एक बाई ने कहा है कि वह आधा घंटा सुबह और आधा घंटा शाम को निकाल सकती है । आधा घंटे में जो भी काम हो सकता है, कर देगी । ठीक आधा घंटे बाद जिस हालत में काम पड़ा रह जायेगा उसे वैसा ही छोडकर चली आयेगी वह । रुपये पूरे दस हजार लेगी महीने के । जीएसटी एक्सट्रा । 

इस बात को सुनकर हमारे होश फाख्ता हो गये । बेहोश होते होते बचा मैं । मुझे लगा कि अब अपने "बुरे दिन" आ गये हैं शायद । इसलिए कमर कसकर किचन में जाने लगा । आखिर काम तो मुझे ही करना था इसलिए विलंब करने में क्या फायदा ? इतने में श्रीमती जी मुस्कुरा कर कहने लगी " अजी रहने दीजिए, अपनी कामवाली बाई आ रही है अभी । वह कर लेगी" । 


"मगर उसने तो काम छोड़ दिया था न " । मैंने चौंकते हुए पूछा
"हां । दरअसल वह गांव जा रही थी । मगर अब उसका प्रोग्राम कैंसिल हो गया है । अब नहीं जा रही वह अपने गांव" 


मैंने मन ही मन भगवान और उस कामवाली बाई को कितने धन्यवाद दिये होंगे , इसकी आप कल्पना ही कर सकते हैं बस ! 


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2 Comments

दशला माथुर

20-Sep-2022 11:26 AM

Bahut khub 👌

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shweta soni

19-Sep-2022 11:59 PM

बेहतरीन रचना 👌

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